मंजू अशोक राजाभोज
भंडारा (महाराष्ट्र)
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आओ, चलो हम पेड़ लगाएँ,
कुछ इस तरह से हरियाली लाएँ।
आम और जामुन जब-जब खाएँ,
उनकी गुठलियाँ जमा करते जाएँ
उन्हें अपने संग तब ले जाएँ,
जब-जब सुबह शाम टहलने जाएँ
उन्हें सड़क के किनारे बस फेंकते चले जाएँ।
न कोई मेहनत, न कोई झंझट,
इस रीत को क्यों न हम सब अपनाएँ
इस बारिश का लाभ उठाएँ,
धरती पर हरियाली हम लाएँ।
सड़कें बनाने की खातिर जो पेड़ हैं कटाए,
कुछ हद तक हम उनकी पूर्ति कर पाएँ
प्रकृति की सुंदरता में चार चाँद लगाएँ,
आने वाले समय में,
धरती को अति उष्णता से हम बचाएँ
चलो सब मिलकर यह कदम उठाएँ।
आओ चलो हम पेड़ लगाएँ,
कुछ इस तरह से हरियाली लाएँ॥