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आओ हम संवाद करें

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’
गोरखपुर(उत्तरप्रदेश)
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आओ बैठो पास हमारे,
कुछ बात करें…।

कुछ जमाने की हो,
कुछ अपनी…
कुछ कहनी भी हो
कुछ सुननी…
पर चुप ना रहें,संवाद करें…
आओ हम कुछ बात करें।

यदि हो समय विपरीत,
तो भी हम प्रतिघात करें
चारों और बिखरी उदासी हो…
या टूटे हों सारे ख्वाब तुम्हारे…
किंतु…आओ इस कठिन दौर में भी,
अपने मन की दो बात करें
प्यार के दो बोल से शायद,
हो जाएं जज्बात हरे
तो…आओ हम कुछ बात करें।

बातें हों चाहे सदियों पुरानी…प्रेम की,
या,कहानियां राजा और रानी की
या,स्वार्थ हमारे जीवन की,
या,बगावत मेरी तुम्हारे प्रीत की
हटें नहीं हम पीछे…
जमाने से…डट कर दो-दो हाथ करें,
आओ हम संवाद करें…॥

परिचय-आरती सिंह का साहित्यिक उपनाम-प्रियदर्शिनी हैl १५ फरवरी १९८१ को मुजफ्फरपुर में जन्मीं हैंl वर्तमान में गोरखपुर(उ.प्र.) में निवास है,तथा स्थाई पता भी यही हैl  आपको हिन्दी भाषा का ज्ञान हैl इनकी पूर्ण शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी) एवं रचनात्मक लेखन में डिप्लोमा हैl कार्यक्षेत्र-गृहिणी का हैl आरती सिंह की लेखन विधा-कहानी एवं निबंध हैl विविध प्रादेशिक-राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कलम को स्थान मिला हैl प्रियदर्शिनी को `आनलाईन कविजयी सम्मेलन` में पुरस्कार प्राप्त हुआ है तो कहानी प्रतियोगिता में कहानी `सुनहरे पल` तथा `अपनी सौतन` के लिए सांत्वना पुरस्कार सहित `फैन आफ द मंथ`,`कथा गौरव` तथा `काव्य रश्मि` का सम्मान भी पाया है। आप ब्लॉग पर भी अपनी भावना प्रदर्शित करती हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-आत्मिक संतुष्टि एवं अपनी रचनाओं के माध्यम से महिलाओं का हौंसला बढ़ाना हैl आपके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैंl  

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