कुल पृष्ठ दर्शन : 8

आत्मनिर्भरता

राधा गोयल
नई दिल्ली
******************************************

“अरे दीदी! धन्य भाग्य जो आप इधर आईं। देखो, आज आपके सिखाए हुए हुनर से हम रोजाना काफी पैसे कमा लेती हैं। मैं सूट की सिलाई करती हूँ और ये जो अनिता है ना, यह सूट के बचे हुए कपड़ों से डिज़ाइनर फ्राॅक बना देती है। आपके समझाने पर मेरे एक भाई ने इलैक्ट्रिशियन का एवं एक ने प्लम्बर का डिप्लोमा किया और अब दोनों की अच्छी कमाई हो रही है। अब तो हमने अपना मकान भी बना लिया है।” सुनीता बोली।
“ये सब आपकी वजह से ही हुआ है दीदी।”
उनको स्वाभिमान से जीवन-यापन करते देखकर सरोज के चेहरे पर एक सुकून भरी प्यारी- सी मुस्कान फैल गई।