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आषाढ़ की पहली बूँद…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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अब रोम-रोम भी सरस हुआ,
है हरष रहा मन प्रान अहा…
कर्णों पर ज्यों मधु बरस रही,
किसका है यह शुभ गान अहा…!

व्याकुल वसुधा ग्रीष्म ताप से,
कब से थी बाट निहार रही…
रंग उड़ा आँचल देह फटा,
कहाँ मेघराज पुकार रही…।
देता निर्मल आकाश पटल,
भरा रहस्य सदृश भान अहा…!

तडप उठा जी मेघराज का,
प्यासी है मेरी वसुंधरा…
देखो आया भागा-भागा,
नैनों में परिमल मेह भरा….
आज धरा का हुआ स्वयंवर ,
रखा मेघराजा मान अहा!

द्रुम दल में बरखा के छींटे,
जल पी कर महका मृदा मुदित…
थका बरस कर कारे बादर,
आदित्य आश का हुआ उदित…।
बरखा रानी अब बरस रही,
हुआ समापन व्यवधान अहा…
किसका है यह शुभ गान अहा…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।