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आ गई दीपावली

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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दीप जगमग जगमगाएँ आ गयी दीपावली,
खुशियों की सौगात लेकर आ गयी दीपावली।

प्रथम श्री गणेश मनाइए फिर लक्ष्मी का पूजन करें,
धन-धान्य से भरपूर हो घर,आ गयी दीपावली।

घर सजा हो दीप से आँगन में रंगोली सजे,
गीत मंगल गाये जाएँ,आ गयी दीपावली।

ये हमारी संस्कृति है हमको इस पर गर्व है,
बच्चे संस्कारित हों समझो,आ गयी दीपावली।

तिमिर छाया है धरा पर हर तरफ खामोशियाँ,
शोर आतिशबाजियों का आ गयी दीपावली।

हर तरफ दीपों की अवली जगमगाता आसमान,
रोशनी की किरण लेकर आ गयी दीपावली।

घर सजे हैं झालरों से खुशी का माहौल है,
मीठी खुशबू महकती है,आ गयी दीपावली।

ना गरीब हो ना अमीर हो सबको समझें एक-सा,
भेदभाव मिटे तो समझें,आ गयी दीपावली।

धूल धुआँ गुबार से मत प्रदूषण फैलाइए,
शुद्ध वातावरण हो तो आ गयी दीपावली।

दीजिए कुछ अनाथों को वस्त्र और मिठाइयाँ,
हो के सब खुश खिलखिलाएं आ गयी दीपावली।

मिलन का त्योहार है सबको गले से लगाइये,
दिल से दिल मिल जाएँ समझो,आ गयी दीपावली॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

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