सेवा में,
संयुक्त सचिव
विभाग, गृह मंत्रालय
भारत सरकार, नई दिल्ली
विषय: इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की डिजिटल सेवाओं, भर्ती पोर्टल एवं मोबाइल एप में राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन।
महोदय,
मैं आपका ध्यान इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक द्वारा राजभाषा नीति और संबंधित नियमों के लगातार उल्लंघन की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ। शिकायत बिंदुवार इस प्रकार है:
🔹भर्ती पोर्टल और सभी आवेदन फॉर्म केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं।
🔹आवेदन निर्देश, योग्यता विवरण, तिथियां और नाम-पता हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में भरने की सुविधा नहीं है।
🔹बैंक की मुख्य वेबसाइट
(ippbonline.com) का हिंदी संस्करण केवल ५ प्रतिशत सामग्री तक सीमित है और अधिकांश सामग्री अंग्रेजी में ही है।
🔹समाचार, घोषणाएँ, निविदा, बैंक अवकाश सूचना और ग्राहक शिकायत पोर्टल केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं।
🔹मोबाइल एप में बहुभाषी विकल्प केवल दिखावटी है;हिंदी या अन्य भाषाओं का चयन करने पर भी सभी मेनू, सूचनाएँ, लेन-देन विवरण और त्रुटि संदेश अंग्रेजी में ही दिखते हैं।
🔹सभी डिजिटल फॉर्म, खाता खोलने के फॉर्म, नियम व शर्तें तथा ग्राहक सहमति फॉर्म केवल अंग्रेजी में हैं।
🔹ऑनलाइन चैट, ई-मेल और एसएमएस केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं, और कॉल सेंटर में हिंदी विकल्प सीमित एवं असंगत है।
🔹इस स्थिति से राजभाषा अधिनियम १९६३, राष्ट्रपति के आदेश २ जुलाई २००८, बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा २३ तथा आरबीआई के डिजिटल बैंकिंग में भाषाई समावेशन संबंधी निर्देशों का उल्लंघन होता है।
🔹अंग्रेजी न जानने वाले करोड़ों नागरिक डिजिटल बैंकिंग सेवाओं से वंचित रहते हैं।
🔹भर्ती और रोजगार में भाषाई भेदभाव उत्पन्न होता है।
🔹धोखाधड़ी की संभावना बढ़ती है और वित्तीय समावेशन एवं डिजिटल इंडिया का लक्ष्य प्रभावित होता है।
कार्रवाई की मांग:
🔹बैंक की वेबसाइट, मोबाइल एप और सभी डिजिटल सेवाएँ हिंदी और अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराई जाएँ।
🔹ग्राहक सेवा पूर्णतः बहुभाषी बनाई जाए।
🔹भर्ती पोर्टल और सभी विज्ञापन हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित किए जाएँ।
🔹आवेदन फॉर्म में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में डेटा एंट्री की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
कृपया, इस विषय पर गंभीरता से विचार कर तत्काल आवश्यक कार्रवाई करें।
सादर,
अभिषेक कुमार
रायसेन (मध्यप्रदेश)
प्रतिलिपि:
माननीय गृह मंत्री, भारत सरकार।
सचिव, राजभाषा विभाग, भारत सरकार।
सचिव, संसदीय राजभाषा समिति।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई)