डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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इस नवरात्रि,
कुछ नया करें
माँ दुर्गा की उपासना,
कुछ अनोखा करें।
व्रत का नवीन संकल्प लें,
वंदना का रूप कुछ हट के हो
मन की शुद्धि प्रतिदिन,
भक्ति और श्रद्धा से करें।
प्रथमा में अपने,
आक्रोश को त्याग दूँ
द्वितीया में लोगों,
को आंकना छोड़ दूँ।
तृतीया में अपने,
गिले-शिकवे त्याग दूँ
चतुर्थी में खुद को और,
दूसरों को क्षमा कर सकूं।
पंचमी में स्वतः को और,
अन्य को जस का तस स्वीकार कर सकूं
षष्ठी में स्वयं को एवं औरों को,
बिना शर्त प्रेम कर सकूं।
सप्तमी में ईर्ष्या और,
अपराध बोध को त्याग दूं
अष्टमी में अपने सारे,
भय का परित्याग कर सकूं।
नवमी में हर वो अमोल पल जो मुझे मिला,
उसके प्रति माँ को कृतज्ञता अर्पित कर सकूं।
दशमी में साधना, निष्काम सेवा और आस्था से,
कुछ नया सृजन कर सकूं॥