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उसूलों पर चला होगा

हिमांशु हाड़गे
बालाघाट (मध्यप्रदेश)
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दूर तक अकेला जाने वाला,
कुछ पल तो ठहरा होगा
अपनी हर बात का जवाब देने से पहले,
कितने समय तक आपकी बात को सुना होगा
पाँवों के नीचे छाले बता रहे, उसूलों पर चला होगा…।

एक राही, कितनी दूर तक अकेला चला होगा,
कई पत्थर राह में आए होंगे
कदम फिर भी न डगमगाए होंगे,
पाँवों के नीचे छाले बता रहे, उसूलों पर चला होगा…।

हर बात पर ‘हाँ जी, हाँ जी’ कहकर आगे बढ़ा होगा,
दिल पर पत्थर रख, कितनी देर तक बातों को सुना होगा
ज़हरीले साँपों के डंक से, कितना दर्द सहा होगा,
पाँवों के नीचे छाले बता रहे, उसूलों पर चला होगा…।

सच्चाई की राह से पहले कितने बुरे दौर से गुजरा होगा,
अब हर बात पर चुप्पी साधने वाला, अपनी हर बात को
कितनी बार लोगों से कहा होगा,
‘कोई सुनवाई नहीं’ कहने वाला,
हर एक बात को उसने सामने
सबके रखा होगा,
पाँवों के नीचे छाले बता रहे, उसूलों पर चला होगा।

घाव गहरे हो चले, पुरानी चप्पल के सहारे चला होगा,
‘बैचेनी रहती है, नींद नहीं आती’ कहने वाला
चुपचाप लाइट ऑफ करके सोने वाला,
न जाने कितनी रातों को जागा होगा।
पाँवों के नीचे छाले बता रहे उसूलों पर चला होगा…।

सबको ‘राम-राम’ कहकर आगे चलने वाला,
पहले सबको अपना गम सुनाया होगा
रात को जागने वाला न जाने कितनी रातों से सोया होगा,
‘मैं अच्छा हूँ, आप कैसे ?’ कहने वाला,
न जाने कितना दर्द उसने सहा होगा।
पाँवों के नीचे छाले बता रहे, उसूलों पर चला होगा…,
पाँवों के नीचे छाले बता रहे, उसूलों पर चला होगा॥