डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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अगर पंख लिख सकते तो इतिहास लिखती,
सपना जो देखा उसकी उड़ान लिखती।
आसमान में उड़ती, ऊँची उड़ान लिखती,
दुनिया में एक बड़ी पहचान लिखती।
अपना एक खूबसूरत जहानलिखती,
टूटे न रिश्ते और परिवार ऐसा मकाम लिखती।
मैं न दर्द में रहूं और कोई भी इंसान का दर्द समझ सकूं ,
दूर दर्द कर सकूं, ऐसी दास्तान लिखती।
माता-पिता का आदर्श गुणगान लिखती,
गुरु की महिमा का बखान लिखती।
समाज और देश हित का नाम बड़ा हो, ऐसा विकास लिखती,
सफलता, खुशी का नया आगाज लिखती॥