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एक पौधा लगाएं

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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सब ‘धरा’ रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)…

आओ हम सब एक पौधा लगाएं,
अपने पर्यावरण को सुंदर बनाएं।

छोटा-सा एक पौधा आज लगाएं,
कुछ ही दिनों में इसे फलता पाएं।

देगा हमें ये स्वच्छ शुद्ध प्राण-वायु,
जिससे बढ़ेगी हम सभी की आयु।

मिलेगी सबको घनी शीतल छाया,
होगी सबकी स्वस्थ व सुंदर काया।

जैसे बच्चे को प्यार से मॉं पालती,
छोटी पौध की वैसे ही पालन होती।

निकलेंगे जब उसमें से सुंदर फूल,
चाहे पौधा कोई हो आम या बबूल।

पशु-पक्षी का हो ऊपर-नीचे बसेरा,
गर्मी के दिनों में आराम राहगीरा।

समय पर मानव धोखा दे सकते हैं,
पर पेड़ कभी भी धोखा देते नहीं हैं।

ये जल का भी तो संरक्षण करते हैं,
हमारे हर कार्य में साथ निभाते हैं।

देख रहा ‘दूरदर्शी’ पौधा पेड़ बनकर,
सदा ही बना ये रहेगा मानव हितकर।

इसिलिए आज लें संकल्प हम सभी,
ये धरती हरियाली से भरी रहेगी तभी।

एक-एक पौधा हम सब रोपण करें,
अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करें॥

परिचय– दिनेश चन्द्र प्रसाद का साहित्यिक उपनाम ‘दीनेश’ है। सिवान (बिहार) में ५ नवम्बर १९५९ को जन्मे एवं वर्तमान स्थाई बसेरा कलकत्ता में ही है। आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, बंगला, नेपाली और भोजपुरी भाषा का भी ज्ञान है। पश्चिम बंगाल के जिला २४ परगाना (उत्तर) के श्री प्रसाद की शिक्षा स्नातक व विद्यावाचस्पति है। सेवानिवृत्ति के बाद से आप सामाजिक कार्यों में भाग लेते रहते हैं। इनकी लेखन विधा कविता, कहानी, गीत, लघुकथा एवं आलेख इत्यादि है। ‘अगर इजाजत हो’ (काव्य संकलन) सहित २०० से ज्यादा रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको कई सम्मान-पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री प्रसाद की लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देना, स्वस्थ और सुंदर समाज का निर्माण करना एवं सबके अंदर देश भक्ति की भावना होने के साथ ही धर्म-जाति-ऊंच-नीच के बवंडर से निकलकर इंसानियत में विश्वास की प्रेरणा देना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-पुराने सभी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज-माँ है। आपका जीवन लक्ष्य-कुछ अच्छा करना है, जिसे लोग हमेशा याद रखें। ‘दीनेश’ के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए। देश है तभी हम हैं। देश रहेगा तभी जाति-धर्म के लिए लड़ सकते हैं। जब देश ही नहीं रहेगा तो कौन-सा धर्म ? देश प्रेम ही धर्म होना चाहिए और जाति इंसानियत।