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एक रास्ता

डॉ.किशोर जॉन
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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गुज़र रहा हुँ वहाँ से,
शायद ही कोई गुज़रा हो
इस राह से कभी यूँ ही,
राह के दोनों तरफ़
मुस्कुराहटें ही मुस्कुराहटें।
अज़ीब-सा उन्माद,
धड़कनें भी मध्यम-मध्यम
कुछ रूमानी धुन,
धीरे-धीरे गुनगुनाती।
रास्ता गुलाबी फूलों से भरा,
महकती ख़ुशबू बेशुमार
बस ये रास्ता यूँ ही,
चलता रहे साथ-साथ
किसी के अहसासों के साथ,
धीरे-धीरे हसरतों के साथ।
ख़त्म ना होने के अन्दाज़-सा,
ता-उम्र सिलसिलों की उम्मीद
इस अन्दाज़ से इस लिहाज़ से,
ख़लल ना पड़े मेरे रास्ते में।
बस रास्ता यूँ ही चलता रहे,
निरंतर अपने ही खुमार में
बस अपने मदमस्त क़यास में।
किसी रूमानियत की ज़िक्र-सा,
तेरी मासूमियत की फ़िक्र-सा॥

परिचय- डॉ. किशोर जॉन मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय(भोपाल) में प्राध्यापक एवं निदेशक (आई.टी.) हैं। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में शिक्षित डॉ. जॉन वर्तमान में भोपाल में रहते हैं। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान सहित वाणिज्य तथा व्यवसाय प्रबंध में आप स्नातकोत्तर हैं। आपको २८ वर्ष का शैक्षणिक एवं प्रशासकीय अनुभव है,साथ ही राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ७० से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत एवं प्रकाशित हैं। ४ पुस्तकों के सम्पादक भी रहे हैं। आपकी लेखन विधा कविता और लेख(शोध) हैं।

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