कुल पृष्ठ दर्शन : 294

You are currently viewing जय माँ भारती

जय माँ भारती

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
******************************************

हे भारती प्रणाम,माँ भारती प्रणाम।
इस विश्व धरातल पर गूँजा है माँ तेरा ही तेरा नाम॥
माँ भारती प्रणाम…

हम भारत के बेटे हैं भारत के गीत सुनायेंगे,
भारत माँ का जयकारा सारे जग में गुँजाएँगे।
विश्व पटल पर भारत का ऊँचा कर देंगे नाम,
हे भारती प्रणाम,माँ भारती प्रणाम…॥

हम शेरों की दहाड़ सुनकर दुश्मन भी थर्राता है,
भारत का जयघोष सदा बैरी के होश उड़ाता है।
दुश्मन के हर हमले को कर देता है निष्काम,
हे भारती प्रणाम,माँ भारती प्रणाम…॥

भारत का अभिमान तिरंगा दुनिया में फहरायेगा,
अपना भारत सारे जग में विश्वगुरु कहलायेगा।
दुनिया का हर देश करेगा माँ को सदा सलाम,
हे भारती प्रणाम,माँ भारती प्रणाम…॥

भारत का रखवाला हिमगिरि शीश उठा कर अड़ा हुआ,
हर जवान सीमा पर संगीनें लेकर है खड़ा हुआ।
करना है आतंकवाद का जड़ से काम तमाम,
हे भारती प्रणाम,माँ भारती प्रणाम…॥

सरहद पर कोई भी दुश्मन पाँव न रखने पायेगा,
चीनी हो या हो पाकी जो होगा मारा जायेगा।
एक-एक मारेगा सौ मच जायेगा कोहराम,
हे भारती प्रणाम,माँ भारती प्रणाम…॥

जल,थल,नभ की सेनायें भारत की रक्षा करती हैं,
जान हथेली पर रख कर लड़ने को सन्नध रहती हैं।
वंदे मातरम् गूँज रहा है कण-कण में अविराम,
हे भारती प्रणाम,माँ भारती प्रणाम।
हे भारती प्रणाम,माँ भारती प्रणाम…॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

Leave a Reply