अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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अँधियारा मिट जाए, ऐसे दीप जलाएँ हम।
सब ख़ुश हो जाएँ, ऐसे समरस हो जाएँ हम॥
छोड़ दें अब तो लालच का साया,
स्वार्थ से कभी क्या कुछ मिल पाया।
जरा दुश्मन को भी दोस्त बनाएँ हम,
अँधियारा मिट जाए, ऐसे दीप जलाएँ हम…॥
देश का सोंचे, सदा बलिदान करें,
प्रेरणा बनें, नारी का सम्मान करें।
मन-आँगन में इक निर्मलता लाएँ हम,
अँधियारा मिट जाए, ऐसे दीप जलाएँ हम…॥
जीवन अविचल है, इसे चमन करें,
अन्तर्मन से सदा दूजों की पीड़ा हरें।
हर दिन अलख यकीन की जगाएँ हम,
अँधियारा मिट जाए, ऐसे दीप जलाएँ हम…॥
गहन अंधेरा है, आशा जगानी होगी,
हर मन से निराशा भगानी होगी।
फिर पौरुष सत्य का,सबको बताएँ हम,
अँधियारा मिट जाए, ऐसे दीप जलाएँ हम…॥