शीलाबड़ोदिया ‘शीलू’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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मधु अपने स्कूटर से अपनी बिटिया को रोज की तरह स्कूल से घर ला रही थी। रोड पर गाड़ी चढ़ा रही थी कि, कीचड़ से गड्ढा बड़ा होने के कारण गाड़ी स्लिप हो गई। गाड़ी इतनी जोर से गिरी कि, गाड़ी की चाबी मुड़ गई। दोनों माँ-बेटी सड़क पर गिरी थी। आस-पास के लोग और कचरा बीनने वाली लड़कियाँ दौड़ कर मदद के लिए आए। जिन्हें देखकर मधु को अच्छा नहीं लगता था, उन्हें देख केवल नकारात्मक विचार ही उसके मन में आते थे, उनमें से ही १ लड़की ने गाड़ी चलाकर रोड़ पर खड़ी कर दी। सब पूछने लगे,- “दीदी! आपको कहीं लगी तो नहीं!”
खुद की परवाह न करते हुए मधु ने अपनी बिटिया से पूछा,-”बेटा तुम ठीक हो ?”
“हाँ मम्मा, ठीक हूँ, बस नाक में और पैर में लगी है।”
मधु को भी घुटनों में दर्द हो रहा था। उसे चोट लगी थी। सम्भल कर कपड़े ठीक किए।
कचरा बीनने वाली लड़कियों ने कहा,-”दीदी, धीरे-धीरे जाना।” मधु ने उन्हें थैंक्स कहा और वो अपना कचरा उठाए चल दीं। मधु ने धीरे-धीरे गाड़ी ली और बिटिया को बैठा कर चल दी, पर मन में सोचती जा रही थी, कि मैं इन कचरा बीनने वालियों को हमेशा चोर समझ कर हीन-भावना से देखती थी और आज उन्होंने ही मानवीय भाव से मदद की।
परिचय-शीला बड़ोदिया का साहित्यिक उपनाम ‘शीलू’ और निवास इंदौर (मप्र) में है। संसार में १ सितम्बर को आई शीला बड़ोदिया का जन्म स्थान इंदौर ही है। वर्तमान में स्थाई रूप से खंडवा रोड पर ही बसी हुई शीलू को हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषा का ज्ञान है, जबकि बी.एस-सी., एम.ए., डी.एड. और बी.एड. शिक्षित हैं। शिक्षक के रूप में कार्यरत होकर आप सामाजिक गतिविधि में बालिका शिक्षा, नशा मुक्ति, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को समझाओ अभियान, पेड़ बचाओ अभियान एवं रोजगार उन्मुख कार्यक्रम में सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, कहानी, लघुकथा, लेख, संस्मरण, गीत और जीवनी है। प्रकाशन के रूप में काव्य संग्रह (मेरी इक्यावन कविता) तथा १५ साझा संकलन में रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। इनको मिले सम्मान व पुरस्कार में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड सम्मान (साझा संकलन), विश्व संवाद केंद्र मालवा (मध्य प्रदेश) द्वारा सम्मान, कला स्तम्भ मध्य प्रदेश द्वारा सम्मान, भारत श्रीलंका सम्मिलित साहित्य सम्मान और अखिल भारतीय हिन्दी सेवा समिति द्वारा प्रदत्त सम्मान आदि हैं। शीलू की विशेष उपलब्धि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में रचना का शामिल होना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य साहित्य में उत्कृष्ट लेखन का प्रयास है। मुन्शी प्रेमचंद, निराला, तुलसीदास, सूरदास, अमृता प्रीतम इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज गुरु हैं। इनका जीवन लक्ष्य-हिन्दी साहित्य में कार्य व समाजसेवा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी रग-रग में बसी है।”