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कच्चे धागों में बँधता है प्यार यहाँ

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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रक्षा बंधन विशेष….

बचपन की यादों में खोई,
घर-आँगन फुलवारी में।
खेल-खिलौनों में दिन गुजरा,
गुड़ियों की तैयारी में॥
अब तो पिय की हुई सहेली,
उनसे ही श्रृंगार यहाँ।
कच्चे धागों में बँधता है…

बहन सजाती हर घर थाली।
भैया जी के आवन में।
रंग-बिरंगे फूल लेकर,
ऋतु आई हैं सावन में॥
बहना के घर पहुँचे भैया,
लेकर के उपहार यहाँ।
कच्चे धागों में बँधता है…

सजी मिठाई हाथ कलाई,
राखी बाँधे हैं बहना।
बदले में भैया से लेती,
मधुर प्यार का है गहना॥
बहना की रक्षा को भैया,
रहता है तैयार यहाँ।
कच्चे धागों में बँधता है…

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