बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचनाशिल्प:२३ वर्ण, ४ लघु (१) + ६ भगण (२११) + गुरु ११११+२११ +२११+२११, २११+२११+२११+२, ४ चरण, २-२ समतुकांत
रघुवर सोच करे मन में जब
लक्ष्मण के तन घाव लगा।
वन-वन में भटके प्रिय लक्ष्मण
कष्ट सहे तन भाव जगा।
अब रण में तुम मूर्छित हो तब
कौन रहा मम साथ सगा।
हनुमत बोल पड़े तब हे प्रभु
लाउँ सजीवन नाथ भगा।
जब कुछ शोक मिटा प्रभु का तब
धीर बली हनुमान कहे।
गिरि पर जाकर औषध लाकर
लक्ष्मण के भव प्राण रहें।
हनुमत जा पहुँचे हित औषध
ला प्रभु के पद पास रखे।
अनुज उठे प्रभु को कर जोड़त
धन्य प्रभो हनुमान सखे।
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।