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कभी कश्मीर, कभी बंगाल…

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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कि कभी कश्मीर जलता है, कभी बंगाल जलता है,
शायद, अब मेरा देश बस ऐसे ही चलता है।

हमारा घर मत जलाओ, बेघर हो जाएंगे,
हर घर में इक बेशुमार सपना पलता है।

कि क्या रखा है इस जमीन के लालच में,
आज तेरा है, कल किसी और का, बड़ा खलता है।

जिसे समझा है सत्ता-कुर्सी अपनी तुमने,
याद रहे, सत्य के आगे सदा असत्य ही टलता है।

पीठ पर मत मारो खंजर कुटिल राजनीति के,
समझो कि ‘समय’ पहिया है, बराबर चलता है॥