ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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नया उजाला-नए सपने…
विदा ‘बीस बाईस की संध्या’,
तुम वर्ष पूर्ण कर हुए निवृत्त…
स्वागत नव वर्ष ‘भानू प्रभा’
कर दो सुधा मय जीवन दीप्त…।
शाल दुशाले ओढ़ सिहरते,
ऋतु शिशिर तरुणाई समाता
धूप आग की ताप सुरुचिकर,
नया वर्ष ठिठुरता कंपाता
बीस तेईस की अगवानी में,
धरा समग्र स्वागत में लिप्त।
कर दो सुधामय जीवन दीप्त…
मति भ्रमित पड़ा पाला भ्रम,
दृग ओस बिंदु बंदी दिनकर
दर्प दर्पण टूटे तब दिखते,
दुनिया के शिव सत्य व सुंदर
तप्त हृदय होता तभी तृप्त।
कर दो सुधामय जीवन दीप्त…
पिघला दो हिम परत दम्भ का,
शांति आर्द्रता दे दो पवन में
कर सिंचन तुषार जल छींटे,
अपावन युद्ध विश्व हवन में
विश्व विप्लव की निशा को,
स्नेह रश्मि से कर दो सिक्त।
कर दो सुधामय जीवन दीप्त…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।