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नए संकल्प बनाएं

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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नया उजाला-नए सपने…

आगत का स्वागत भी करें हम,
लेकिन विगत को भूल ना जाएं
नए साल की नई सुबह में,
नए-नए संकल्प बनाएं।

खुशियाँ दें हम सारे जग को,
सबके गम को बांटें हम
घृणा, द्वेष को जड़ से मिटाएं,
सदाचार के दीप जलाएं।
नए-नए संकल्प बनाएं…

रूठ गया जो उसे मनाएं,
दूर गया तो पास बुलाएं
खोल दें मन की सारी गांठें,
दिल से दिल के तार मिलाएं।
नए-नए संकल्प बनाएं…

भूखे पेट न सोए कोई,
सबके सिर पर छत मिले
राजा-रंक बने एक सम,
ऐसा नया समाज रचाएं।
नए-नए संकल्प बनाएं…

चुनौतियां स्वीकार करें हम,
डटकर सबका करें सामना
भूल हुई है हमसे जो भी,
उनको फिर से ना दोहराएं।
नए-नए संकल्प बनाएं…

विदाई हो दो हजार बाईस की,
अगवानी हो दो हजार तेईस की
समय निरंतर गतिमान है,
गति की धारा में बह जाएं।
नए-नए संकल्प बनाएं…॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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