डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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मुंशी जी:कथा संवेदना के पितामह…
पिता थे मुंशी अजायब लाल,
आनन्दी देवी माँ का नाम
३१ जुलाई जन्म धनपत का,
धन्य हो गया लमही ग्राम।
बड़ा शौक था पढ़ने का,
कलम की जादूगरी दिखायी।
ऊर्दू, फारसी, हिन्दी मन भायी,
लालगंज में शिक्षा पायी।
छोटी उम्र, दुनिया हुई सूनी,
माँ चली गई स्वर्ग सिधार
संघर्ष भरा था जीवन उनका,
सहज सरल थे उच्च विचार।
घरवालों ने ब्याह किया पर,
किस्मत को रास न आया
शिवरानी देवी को मान दिया,
दूजा विधवा ब्याह रचाया।
पुस्तक ‘सोजे वतन’ लिखी,
ब्रिटिशों द्वारा गई जलाई
लेखनी उनकी झुकी नहीं,
और निखर कर रंग लाई।
समाज में फैली कुरीति का,
जमकर पर्दाफाश किया
सत्य, न्याय और करुणा,
नैतिकता का संदेश दिया।
बासी भात में खुदा साझा,
लिखे सियासत का दिवान
बेटों वाली विधवा लिखी,
बूढ़ी काकी, गबन, गोदान।
‘ठाकुर का कुआँ’ लिखा,
दिल की रानी, धिक्कार
जीवन का शाप, शुभांगी,
लिखा खुदाई फौजदार।
छोड़ गए अमूल्य धरोहर,
पढ़ें बच्चे, बूढे और जवान।
सहित्य जगत जगमग उनसे,
उनकी कीर्ति विश्व महान॥