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कल्पकथा काव्य संध्या में प्रवाहित रही भक्ति धारा

सोनीपत (हरियाणा)।

सद साहित्य हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था की १९९वीं आभासी काव्य गोष्ठी में सृजनकारों ने भक्ति और पौराणिक प्रसंगों पर आधारित काव्य रचनाओं से समा बांधा। विद्वान साहित्यकार कमलेश विष्णु सिंह ‘जिज्ञासु’ ने अध्यक्षता की।
संस्था की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि आशुकवि भास्कर सिंह ‘माणिक’ व पवनेश मिश्रा के संचालन में कार्यक्रम का शुभारंभ नागपुर से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा गुरु वंदना, गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना के संगीतबद्ध गायन के साथ हुआ।भगवान कार्तिकेय के पावन प्राकट्य पर्व के अवसर पर धार्मिक परिचर्चा के आयोजन में रोचक प्रश्नावली से काव्य संध्या सजी।
कार्यक्रम में श्री डांगे, प्रमोद पटले, बिनोद कुमार पाण्डेय, सुनील कुमार खुराना, अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’, दुर्गादत्त मिश्र ‘बाबा’, डॉ. मंजू शकुन खरे, श्रीपाल शर्मा ‘इदरीशपुरी’, नंदकिशोर बहुखंडी, श्रीमती राधाश्री शर्मा और पवनेश मिश्रा आदि ने काव्य पाठ किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में ”जिज्ञासु’ ने कहा कि ईश्वर की भक्ति मन और जीवन के विकारों के उपचार की औषधि है। आपने मुक्तकण्ठ से आयोजन की प्रशंसा की एवं रचनाकारों को बधाई दी। कल्पकथा की संस्थापिका श्रीमती राधाश्री शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।