सोनीपत (हरियाणा)।
हिन्दी भाषा एवं सद्साहित्य के संवर्धन हेतु कृतसंकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था की २०२वीं काव्य गोष्ठी २२ जून को हर्षोल्लास से हुई। इसमें हास्य-व्यंग्य एवं श्रृंगार रस की सरस रचनाओं ने साहित्य प्रेमियों को भाव-विभोर कर दिया।
संस्था की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज (वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षक, उप्र) रहे। मुख्य अतिथि डॉ. निधि जैन बोथरा (संस्थापक, आराधिका राष्ट्रीय साहित्य मंच, पश्चिम बंगाल) रहीं। गुरु वंदना, गणेश वंदना व सरस्वती वंदना की प्रस्तुति वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे (नागपुर) द्वारा दी गई, जिससे गोष्ठी का शुभारम्भ आध्यात्मिक आभा से आलोकित हो उठा। इस सफल गोष्ठी की विशेष उपलब्धि रही वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती संध्या श्रीवास्तव ‘साँझ’ (मप्र) की वैवाहिक वर्षगांठ, जिनको समस्त साहित्यकारों एवं संस्था परिवार ने आत्मीय शुभकामनाएँ अर्पित की।
आयोजन में प्रमुख सहभागी रचनाकार श्रीमती मेघा अग्रवाल, बिनोद कुमार पाण्डेय, दुर्गादत्त मिश्र ‘बाबा’, सुनील कुमार खुराना, अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’, श्रीमती साधना मिश्र ‘विंध्य’, डॉ. मंजू शकुन खरे, श्रीमती ज्योति प्यासी, डॉ. अंजू सेमवाल, श्रीमती शोभा प्रसाद, विष्णु शंकर मीणा व डॉ. रवि घायल रहे। अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. भारद्वाज ने कहा कि कल्पकथा जैसी संस्थाएँ साहित्य की निरंतर गंगधारा बनकर समाज को संस्कार देती है। ‘विंध्य’ ने कहा कि साहित्य सृजन औषधि है, जो जीवन को स्वस्थ और आनंदमय बनाता है।
संचालन आशुकवि भास्कर सिंह ‘माणिक’ (कोंच) एवं पवनेश मिश्रा (छतरपुर, मप्र) ने किया। संस्थापिका श्रीमती राधाश्री शर्मा ने सभी को हृदयतल से धन्यवाद ज्ञापित किया।