सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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मधुर कसक है आज हृदय में
सुधि बन छाया कौन,
झुकती जाती बोझिल पलकें
मन में द्वारे आया कौन ?
लिखने बैठी पीर हृदय की
मन में मेरे समाया कौन,
देर रात तक बातें करती
चैन जिया का छीने कौन ?
बार-बार बस यही सोचती
नयनन कोर भिगोता कौन,
भूली-बिसरी सारी यादें
मुझको याद दिलाता कौन ?
सुलग रहा तन-मन सखी मेरा,
रोज़ स्वप्न में आता कौन ?
दिन-भर व्यस्त काम में रहती,
रात संग वह, पर है मौन॥