डॉ. गायत्री शर्मा ’प्रीत’
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
*******************************************
कामवाली बाई के आने का, आश्वासन मिलने के बाद ही
दिवाली की तैयारी उसी हिसाब से शुरू होती,
कहीं छुट्टी तो नहीं जा रही है!
दिवाली का इतना सारा काम करना,
मन में संशय बना रहता, परंतु बाई आश्वासन देती…
उसकी फूल से मुस्कुराहट मेरी निराशा को आशा में बदल देती,
और मैं जोर-शोर से दिवाली की तैयारी में लग जाती।
उसकी चूड़ियों की खनखनाहट,
मुस्कुराते हुए डोर बेल बजाना
पूरे घर में हँसी रोप देती,
मानो साक्षात लक्ष्मी आ रही है
यही सोचकर उसका आँगन बुहारना,
जिससे घर के देवता भी जाग उठते
कपड़े धोती तो मानो अपने मन की पीड़ा साबुन के घोल में विलीन कर देती।
घर में घूमते किनारीदार साड़ी पहने,
माथे पर बड़ी-सी लाल बिंदी लगाए, मानो जीवन को खुशियों से महका देती
घर में किसी को ‘अम्मा’, ‘दीदी’ या ‘भाभी’ कहकर रिश्तों की डोर में बाँध देती,
उसकी एक हँसी मेरे माथे की सिलवटें मिटा देती
एक कप चाय की प्याली से मन में मिठास घोल देती।
झाड़ू के साथ बुहार कर ले जाती मेरे मन की सारी उलझनें,
व बिखेर देती पूरे घर में एक मधुर मुस्कान॥
परिचय- डॉ. गायत्री शर्मा का साहित्यिक नाम ‘प्रीत’ है। २० मार्च १९६५ को इन्दौर में जन्मीं तथा वर्तमान में स्थाई रुप से इन्दौर (मध्यप्रदेश) में ही रहती हैं। आपको हिंदी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. (अर्थशास्त्र) तक शिक्षित डॉ. शर्मा का कार्य क्षेत्र-गृहिणी का है, तो सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज के लिए कार्य करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं में पदों पर रहते हुए आप भारतीय कला, संस्कृति व समाज के लिए काम कर रही हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाओं का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। सम्मान-पुरस्कार में विद्या वाचस्पति सम्मान, सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार सहित कोरबा के जिलाधीश से सम्मान प्राप्त हुआ है तो कई संस्थाओं से भी अनेक बार अखिल भारतीय सम्मान मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं से सम्मान, आकाशवाणी से कविता का प्रसारण औऱ अभा मंचों पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त होना है। डॉ. गायत्री की लेखनी का उद्देश्य-समाज और देश को नई दिशा देना,देश के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करना,समाज में फैली बुराइयों को दूर करना, एक स्वस्थ और सुखी समाज व देश का निर्माण करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली डॉ. शर्मा कै लिए प्रेरणापुंज-तुलसीदास जी,सूरदास जी हैं। आपकी विशेषज्ञता-गीत,ग़ज़ल,कविता है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश प्रेम व हिंदी भाषा के प्रति हमारे दिल में सम्मान व आदर की भावना होना चाहिए। मेरा देश महान है। हमारी कविताओं में भी देश प्रेम की भावना की झलक होनी चाहिए। हिंदी के प्रति मन में अगाध श्रद्धा हो, अंग्रेजी को त्याग कर हिंदी को अपनाना चाहिए।”