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काली कम्बली ओढ़ के आए

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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काली कम्बल ओढ़ के आए,
भक्तों के भगवान रे।
तेरी-मेरी नई-नई पहचान रे
तेरी-मेरी नई-नई पहचान रे…॥

कितना अद्भुत रूप बनाया,
मन हर्षाया, तन लहराया।
जो भी तेरे द्वारे आया,
रखना उसका मान रे।
तेरी-मेरी नई-नई पहचान रे…॥

दो नैनों के दीप जलाऊं,
मन-मंदिर में तुम्हें बसाऊं।
साँसों के तारों से गाऊं,
मैं तेरा गुणगान रे।
तेरी-मेरी नई-नई पहचान रे…॥

दो पैरों से चलता-फिरता,
दो हाथों से खाता-पीता।
कुछ नहीं कहता, सबकी सुनता,
ये इसकी पहचान रे।
तेरी-मेरी नई-नई पहचान रे…॥

श्याम सलोना मुरली वाला,
सपनों में मेरे आए रे।
दर्शन दे के अँखियाँ मेरी,
धन्य-धन्य मैं हो जाऊं रे।
तेरी-मेरी नई-नई पहचान रे…॥

काली-कम्बल ओढ़ के आए,
भक्तों के भगवान रे।
तेरी-मेरी नई-नई पहचान रे…॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।