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कुछ तसल्ली मिली

सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
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सिंदूर नहीं सिर्फ रंग लाल,
यह सात जनम का नाता था
झटके से तूने पोंछ दिया,
यह पतिव्रता का गहना था
ये चेहरे का श्रृंगार नहीं,
दुल्हन का बहुमूल्य खजाना था
मुखड़े की सुंदर आन-शान,
सौभाग्यवती कहलाता था।

जिसके प्रकोप के आगे,
यमराज भी न बच पाए थे
बन के जल्लाद हाय जिसे,
तूने आकर मिटाया था
‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर,
अब भारत ने ललकारा था
घर में घुस वीर जवानों ने,
चुन-चुन के तुमको मारा था।

दिल को कुछ तसल्ली मिली,
पर तुम लातों के भूत हो
नष्ट कर रहे दुनिया को,
इंसानियत के दुश्मन हो
मेरा वतन, मेरी सेना अब,
जलवा अपना दिखाएगी।
बहुत जल्द तुम्हें इस धरती से,
संपूर्ण स्वाहा कर जाएगी॥