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कौन है अपना ?

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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इस ज़िंदगी में हमें,
किसी ऐसे की ज़रूरत होती है
जो हमें सिर्फ देखे नहीं,
बल्कि महसूस करे
जो जान सके कि हम,
कब हार मानने वाले हैं!
और हिम्मत करके,
हमारे लिए कूद पड़े
हमारा हौसला बढ़ाए,
हमें समझाए…।

आपको कौन इतना
अच्छे से जानता है ?
जब आप मुस्कुरा रहे हों,
तब भी समझ सके कि
आप ठीक नहीं हैं ?
जब आप डूब रहे हों,
आपमें ऊपर आने की
ताकत न हो
तब कौन आपके लिए!
बिना झिझक कूद पड़ेगा।

और अब उससे भी ज़्यादा
जरूरी सवाल…
क्या आप किसी के लिए,
वो इंसान हैं ?
क्या आप अपने-अपनों की,
ज़िंदगी में इतने हाज़िर हैं कि
ये महसूस कर सकें कि
वो कब डूबने लगे हैं ?
या आप भी बस,
बाकी दर्शकों जैसे हैं
जो तालियाँ बजा रहे हैं,
लेकिन नहीं देख पा रहे कि
अंदर से वो टूट रहे हैं ?

इस ज़िंदगी में हमें किसी,
ऐसे की ज़रूरत होती है
जो हमें सिर्फ देखे नहीं,
बल्कि महसूस करे
जो जान सके कि हम,
कब हार मानने वाले हैं…
और हिम्मत करके,
हमारे लिए कूद पड़े।
क्योंकि कई बार,
एक नज़र,
एक छलांग…
एक ज़िंदगी बचा सकती है॥