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क्या उनको हक नहीं ?

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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विश्व शाकाहार दिवस (१ अक्टूबर) विशेष….

आइए वृक्षों की छाँव में हरियाली का संसार बनाएं,
फल-फूल और अनाज में है जीवन, यह सार बताएं।

धरती माँ की गोद से उपजी है हर नेमत,
प्रकृति का यह अनमोल उपहार, पावन वरदान बनाएं।

हम क्यों दें जीवों को मौत ? क्यों छीनें उनकी साँस ?
हर प्राणी को है जीने का हक, धरा का यह धर्म निभाएं।

है पर्याप्त अन्न, सबकी भूख मिटाने को आज भी,
फिर क्यों रक्त बहाना, बस स्वाद पाने इसे न बहाएं।

चुप हैं तो क्या हुआ, पर हर जीव के मन में है दर्द-पुकार,
है करुण क्रंदन छिपा हुआ, इनकी हर साँस बचाएं।

क्या उनको हक नहीं, धरा पर शांति से जीने का!
क्यों हमसे छूटे दया और करुणा, यही राह अपनाएं।

चलें प्रकृति संग, रखें उसकी हर इच्छा का मान,
त्याग दें माँस, धरती माँ को स्वर्ग समान बनाएं।

तुमको अधिकार नहीं, जान किसी की लेने का,
ईश्वर सबका मालिक, वक़्त है जान बचाएं।

ओ मानव,.सोच जरा…कोई तुझे काटे, कैसा लगेगा ?
सबको जीने दो, ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अपनाएं।

करें अहिंसक समाज का निर्माण, जान कीमती,
न करें मांसाहारी भोजन, मानस में विकार न पनपाएं।

आओ जीवन को देवता मानें, शाकाहार अपनाएं,
हर जीव की रक्षा करें, यही ज्ञान मानव को बताएं॥