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क्षण-क्षण

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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क्षण-क्षण समय उड़ रहा है,
इतिहास एक नया गढ़ रहा है
पकड़ना चाहती हूँ कुछ पलों को,
समय के साथ वह मुझे बदल रहा है।

काग़ज़ पर क़ैद किए हुए,
ये कुछ पल ही तुम्हारे होंगे
वे तो बस तुम्हारी यादों में बस जाएँगे,
क्या करना समय को ऐसे पकड़ कर
वो तो बादल की तरह उड़ जाएँगे।

बादल की तरफ़ मैं देखती रहती हूँ,
बादल के साथ-साथ उड़ती रहती हूँ
देखते-देखते मैं भी बादल बन गई,
कहाँ-कहाँ इधर-उधर घूमती रहती हूँ।

कुछ क्षण यादों में बस जाते हैं,
कुछ क्षण काग़ज़ पर उतर आते हैं।
क़ैद हो जाते हैं कुछ क्षण ऐसे,
कोशिश करने पर भी नहीं भूल पाते हैं॥