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खत्म करना है लड़ाई

नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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मत लड़ो मेरे दोस्त,
लड़ना
ठीक बात नहींं,
लड़ने में
विचारों में रहती है अशांति,
चेहरे पर
रहती हैं रेखाएं,
दिल में भ्रांति
हमें नहीं भाती
किसी की सीख,
हम उलझे रहते हैं
सदैव
लड़ने की फिराक में,
मौके की ताक में
हमारा पूरा समय,
बीत जाता है
इसी बात में,
न हम खुद के लिये
कुछ कर पाते हैं,
न बंधु-बांधवों के लिये
तुम्हीं बताओ,
ऐसे जिए
तो क्या जिए ?
कहा भी है-
लड़ने वाले खत्म हो जाते हैं,
लड़ाई खत्म नहीं होती
और,
हमने देखा भी है
सदियों से
चलती आ रही है लड़ाई,
कभी खत्म न होने वाली लड़ाई
मगर हमें
खत्म करना है लड़ाई
इसी में है
हमारी भलाई,
हम रहें तनावमुक्त
सीखें
प्रेम,त्याग,शांति की भाषा,
यही संकल्प…यही अभिलाषा।