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खूब बही ग़ज़ल-गीतों की सरिता

लखनऊ (उप्र)।

अखिल भारतीय काव्य धारा (रामपुर, उत्तर प्रदेश) की लखनऊ इकाई द्वारा कवि गोष्ठी का आयोजन इक्षुपुरी कॉलोनी में किया गया। अध्यक्षता कृपाशंकर श्रीवास्तव ने की। मुख्य अतिथि भूपेंद्र सिंह होश तथा विशिष्ट अतिथि सत्येन्द्र तिवारी, रमेशचंद्र श्रीवास्तव तथा मालती राय शर्मा रहीं।

इस गोष्ठी में कवि-कवयित्रियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।शुभारंभ अध्यक्ष तथा संरक्षक द्वारा माँ शारदे के चित्र पर पुष्प अर्पण से हुआ। श्रीमती ऋषि श्रीवास्तव ने वाणी वंदना की। रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने ग़ज़ल-‘सुलगे हैं कड़ी धूप में तब छांव मिली है। आराम के पल दुःख भरे लम्हात से निकले’ सुनाई तो सत्येन्द्र तिवारी ने ‘श्ये मैं नहीं बहारे पीकर आई हैं। मैं बहार की मदिर-मदिर मस्ती हूँ।’ सुनाकर मन मोह लिया। भूपेन्द्र सिंह होश ने ‘हवा में ये जो खुशबू सी घुली मालूम होती है, मुझे ऐ माँ तेरी’ सुनाकर माहौल को भावुकता से भर दिया। संजय सागर, नमिता सचान, ऋषि श्रीवास्तव और स्वरिका कीर्ति आदि ने भी रचनाओं से सबको आनंदित कर दिया। मालती राय, रश्मि लहर तथा शिवभजन कमलेश के गीतों ने कार्यक्रम को तालियों की गड़गड़ाहट से भर दिया।