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ख्वाब अधूरे रह गये…

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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बचपन कैसे बीत गए,
पल में ओझल हो गए
जो सोचा वो पाया नहीं,
सपने जैसे खो गए…
ख्वाब अधूरे रह गए…l

कुछ सपने तो सपने हैं,
शायद वो ही मेरे अपने हैं
कभी इजहार किया ही नहीं,
दिल के अंदर बसते हैं
कुछ धुंधले से हो गए…
ख्वाब अधूरे रह…l

साथ तेरा जो छूट गया,
लम्हा वहीं ठहर गया
पेड़ों की खामोशी है,
फूलों की खुशबू रहती है
मिलने जाती हूँ उनसे जब,
आँखों में आँसू आ गए…l
ख्वाब अधूरे रह गए…ll

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।