धनबाद (झारखंड)।
मुंशी प्रेमचंद भारत की आत्मा थे, जिन्होंने गरीबी, अशिक्षा, छुआछुत, जातिवाद, धर्मवाद के खिलाफ अपनी कलम से आग उगली और आज़ादी का बिगुल बजाते रहे।
सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच (मुम्बई) के ३२ वर्ष पूरे होने एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की १४५वीं जयन्ती के अवसर पर संस्था द्वारा आयोजित आभासी राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए यह बात पूर्व प्राचार्य प्रो. (डॉ.) राम अवतार सिंह (सिंदरी) ने कही। मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय ग़ज़लकार डॉ. सागर त्रिपाठी (मुम्बई) रहे।
संस्था के संस्थापक आचार्य संजय सिंह ‘चंदन’ ने बताया कि
विशिष्ट अतिथि योग साधक व अध्यात्मविद् पं. अर्जुनधर द्विवेदी (प्रयागराज) व अन्य अतिथियों में के.सी.एन. क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदन मिश्र त्यागी, डॉ. संगीता नाथ, चंद्रिका प्रसाद पांडेय ‘अनुरागी’ व समाजसेवी रजायन यादव रहे। शुरूआत सरस्वती वंदना से संगीताचार्य श्यामा झा ने बेहतरीन वाद्य यंत्रों के साथ की। भजन सम्राट पं. अनिल पाठक ने शिव व सावन की महिमा पर धमाकेदार प्रस्तुति से सबको भाव-विभोर कर दिया।
इस मौके पर गोष्ठी में मुंशी जी पर आधारित एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने भारतीय संस्कृति का बोध कराया। डॉ. त्रिपाठी ने खूब तालियाँ बटोरी, उनके अल्फ़ाज थे-“बटुवे में परिवार बसा है, दिल में हिंदुस्तान।” पं. द्विवेदी ने अध्यात्म चिंतन पर प्रकाश डाला और योग को सुखी जीवन का अभिन्न अंग बताया। अतिथियों डॉ. नाथ, श्री त्यागी ने भी उम्दा प्रस्तुति से समां बाँध दिया। देशभर से ७३ कवियों ने प्रस्तुति दी, जिनमें नरेंद्र नौडियाल, सुधीर यादव, डॉ. प्रमिला पांडेय, डॉ. सुप्रिया शिखा, रिंकू दुबे ‘वैष्णवी’ और सत्येंद्र कुमार सिंह आदि की प्रस्तुति खूब सराही गई। स्वागत भाषण राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. भोला नाथ तिवारी ने दिया। सभी के काव्य की समीक्षा संपादक व साहित्यकार डॉ. कृपा शंकर मिश्र (मुम्बई) ने की। इस अवसर पर सभी कवियों को ‘साहित्य शिखर’ सम्मान से विभूषित किया गया।
कुशल संचालन संजय सिंह ‘चंदन’ ने किया।