सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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प्रिय दोस्त, कभी आना समय निकाल कर,
आना तो पहले से मत बताना, बस आ जाना
जैसे ठंडी हवा का झोंका आता है, गले लग जाना,
कितनी बातें करनी है तुमसे, हर प्रश्न का हिसाब चाहिए
इतने दिनों से कोई खोज-ख़बर नहीं ली, सबका जवाब चाहिए।
तुमको याद है वो दिन… जब मैम ने हम दोनों को बुलाया था,
कहने लगी “तुम्हारे बस्ते से कच्ची अमिया की ख़ुशबू आ रही है”
सच्ची हम दोनों उस दिन घर से बहाना बना स्कूल जल्दी आए थे,
स्कूल के इकलौते आम के पेड़ के नीचे से हम दोनों ने अमिया बीनी थी।
मैम बोली थी, “मुझे भी इसमें से कुछ अमिया दोगी ?”
हमने अपना पूरा बैग ही उन्हें पकड़ा दिया था,
उन्होंने बड़े प्यार से २ अमिया लेकर बैग वापस कर दिया था।
कहने लगी कि “मुझे अपना बचपन याद आ गया,
जब मैं छोटी थी तो मैं भी तुम लोगों की तरह अमिया बीनती थी॥”