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गुरु गुणों की खान

डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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यदि आप नहीं होते तो…(शिक्षक दिवस विशेष)….

गुरु ज्ञान के सागर हैं,
गुरु बिना मिले ना ज्ञान
गुरु के रंग में रंग जाएं,
त्याग अपने अभिमान।

गुरु हमारे पथ प्रदर्शक,
जीवन का मार्ग दिखाते
जहां फैला अज्ञान अन्धेरा,
वे ज्ञान का दीप जलाते।

पारस के सम्पर्क में आकर,
लोहा हो जाता सोने समान
गुरु का सानिध्य मिले तो,
शिष्य हो जाता ज्ञानवान।

ज्ञान रतन अनमोल है,
गुरु हैं गुणों की खान
जिसने दिया गुरु को मान,
उनका जीवन बना महान।

गुरु जैसा कोई ना ज्ञानी,
याचक ना शिष्य समान
ग्रहण करे जो ज्ञान गुरु से,
बन जाए वह गुरु समान।

मलिन हृदय कंचन बन जाए,
गुरु का मिले जिसे संज्ञान
जो रह जाए गुरु से वंचित,
वह मनुज, समझो पशु समान।

गुरु सर्वदा हैं आदरणीय,
उनका करें सदा सम्मान।
गुरु महिमा सबसे ऊपर,
उनका कैसे करूँ बखान।

ज्ञान की पूजा सब करते,
अज्ञानी हो या धनवान।
भरी सभा में पूजे जाते,
जो मनुज हुए ज्ञानवान॥

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