डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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शिक्षक समाज का दर्पण…
गुरु बिन ज्ञान कहाँ,
शिष्य बिन मान कहाँ ?
गुरु की महिमा निराली है,
गुरु तो शक्तिशाली है।
गुरु ही मार्गदर्शक है,
गुरु सवालों की कुंजी है
गुरु की वाणी एक कहानी है,
अच्छे-बुरे का पाठ गुरु की
निशानी है।
गुरु से हिम्मत है ताकत है,
शिष्य को गुरु कृपा से लाभ है
गुरु से जग रोशन है,
गुरु से मन स्वतंत्र है।
गुरु भविष्य की नींव है,
बच्चों का विकास है
कामयाबी की कड़ी है,
गुरु मुस्कान है बच्चों की।
गुरु शान है जीवन की,
गुरु के मंत्रों में जिंदगी के रंग छुपे हैं
जिससे इंद्रधनुष बना है,
इंद्रधनुषी रंग बने हैं।
जीवन रूपी अंधेरे का प्रकाश है,
गुरु से हर दिन खास है
गुरु से ही समाज में प्रतिष्ठा है,
सम्मान है और प्राण है।
जिम्मेदारी है अहसास है,
गुरु की गुणवत्ता से प्यार है।
तरक्की गुणों का अहसास है,
इसीलिए गुरु सबके खास हैं॥