सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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गुरु पूर्णिमा (२१ जुलाई) विशेष….
तुम चाहो अपना लो मुझको,
तुम चाहो खोलो भव-बंधन
तुम चाहो इसमें रंग भर दो,
निसदिन करूँ तुम्हारा वंदन।
दिव्य दूत बन तुम हर लेते,
कुंठित अंतर्मन का क्रंदन
श्रद्धा से पावन हो उठता,
जब खिल जाते उर के मधुबन।
ज्ञान शलाका से कर दो गुरु,
उन्मीलित तुम मेरे लोचन
सदा रहूँ मैं शरण तुम्हारी,
आलोकित हो मेरा यौवन।
सदा सत्य की राह चलूँ मैं,
दीप्तिमान हो मेरा चेतन
करूँ दया और धर्म का पालन,
गुरु से मेरा आत्म-निवेदन।
जीवन अर्पण गुरु चरनन में,
गुरु-भक्ति मैं करूँ निरंजन।
यही कामना मेरी हर पल,
प्रमुदित हो करती मैं वंदन॥