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गुरु हैं गुणों की खान

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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शिक्षक समाज का दर्पण…

रचनाशिल्प:४ चरणों में लिखा जाने वाला सम तुकांत छन्द है। प्रत्येक चरण में कुल ३० वर्ण होते हैं। ८, ८, ८,६ पर यति अनिवार्य है। अंत में २१२ / रगण

गुरु हैं गुणों की खान,
देते सदा सद ज्ञान,
श्रद्धा सम्मान सहित,
गुरु को ध्याइए॥

गुरु बिना ज्ञान नहीं,
जग में सम्मान नहीं,
गुरु के आशीष से ही,
सन्मार्ग पाइए॥

अज्ञान का अंधकार,
गुरु ज्ञान करे पार,
मूरत गुरु की सदा,
हिया बिठाइए॥

गुरु ईश से महान,
गुरु सकल जहान,
आपद हो जीवन में,
गुरु मनाइए॥

ज्ञान का प्रकाश करे,
तमस अज्ञान हरे,
जीवन में लाए सुख,
साथ न छोड़ते॥

गुरु हैं कृपा निधान,
रखें सबका ही ध्यान,
शिष्यवृंद को सदैव,
सन्मार्ग मोड़ते॥

करें गुरु को नमन,
होए कष्टों का शमन,
गुरु ही परमात्मा से,
आत्मा को जोड़ते॥

रख मन में ही आस,
गुरु में श्रद्धा विश्वास।
अज्ञान का आवरण,
गुरु ही तोड़ते॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’