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चल रही है सर्द हवाएं

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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चल रही है सर्द हवाएं,
कोई रोक सके तो रोक लो
सर्द की ठंडी हवा से काॅ॑प रही हूॅ॑,
यकीन करो,देख सको तो देख लो।

दिसम्बर की यह शीत लहर,
आकर के हरेक घर में है ठहरी
राजा हो चाहे कोई रंक-फकीर,
शीत लहर की लगी है लकीर।

दाॅ॑त खटखटाकर बजती है,
जब-जब सर्द हवाएं चलती है
मुझे तो मित्रों दाल-भात छोड़ के,
चाय-कॉफी ही सिर्फ अच्छी लगती है।

साबुन सज रहा है शो-केस में,
चादर लपेटी जैसे बंजारा भेष में।
चल रही है यह सर्द हवाएं,
शॉल-स्वेटर है इसकी दवाएं॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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