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चाहिए सुख-दुःख बाँटनहार

डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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मित्रता-ज़िंदगी…

मनुज अकेला रह नहीं सकता,
चाहिए सुख-दुःख बाँटनहार
बड़ा नसीबों वाला होगा, जिसे,
मिल जाए अगर सच्चा यार।

मित्र अगर सच्चा मिल जाए,
सुख-दुःख में साथ निभाता है
एक-दूजे का साथ है भाता,
अकेलापन-गम दूर भगाता है।

सच्चा मित्र अगर मिल जाए
हमें वो मंजिल तक पहुंचाए
मित्र अगर हो छलिया-कपटी,
जीवन पथ से हमें भटकाए।

जात-पात ना देखती मित्रता,
धन, रूप, रंग भी ना देखती
दो दिलों का प्यारा बंधन है,
ये प्यार, विश्वास है बिखेरती।

घूमना-फिरना, मस्ती करना,
साथ में, बहुत मजा है आता
बड़ा सुखद क्षण जीवन का जब,
मित्र, मित्र के काम है आता।

जीवन के सफ़र में कहीं-कभी,
मित्र जब सच्चा मिल जाता है।
खून के रिश्ते से भी बढ़कर,
जीवनभर साथ निभाता है।

सोच-समझ कर मित्र बनाएं,
मित्रता है अनमोल खजाना।
जिसने इस सुख को, है पाया,
ये राज़ उसी ने है जाना॥