प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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पूज्य पर्व मैया छठी, पूजन बहुत महान।
जग सारा वंदन करे, माता रखना आन॥
प्रकृति दिव्य तुम, मातरम्, रखती हो नित लाज।
माता करतीं पूर्ण सब, हम भक्तों के काज॥
नदिया तट पर, सूर्य का, वंदन देता ताप।
प्रभुता मिलती भक्त को, रहें शेष नहिं पाप॥
सूर्य-साधना तेजमय, जो देती वर्तमान।
यश-वैभव परिवार को, मिलता नित उत्थान॥
नहाय-खाय से हो शुरू, तीन दिवस का पर्व।
सूर्य-अर्घ्य से ख़त्म हो, चौथे दिन सँग गर्व॥
खरना का दिन निर्जला, लगा ठेकुआ भोग।
रहें वर्ष भर लोग सब, सुख से, नित बिन रोग॥
सूरज के आलोक से, जग पाता उल्लास।
जो जीवन दे, वेग दे, लाता सुख-अहसास॥
घाट बनें पावन सदा, पूजन रखे प्रभाव।
छठ मैया की ही दया, चलती जीवन-नाव॥
सारे यह पूजन करें, गायें मंगल गान।
जय गंगा माँ आपके, तट हैं बहुत महान॥
छठ मैया को पूजना, मन को दे आलोक।
किंचित भी बचते नहीं, किसी तरह का शोक॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।