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छोटे-छोटे आलेख सरल, अनुभूति के रूप में समाज सेवा के समान

इंदौर (मप्र)।

संतान के जन्म के समान प्रथम पुस्तक लेखन की खुशी मिलती है। पुस्तक पढ़कर अनुभव किया कि जो छोटे-छोटे आलेख सरल, सहज विषय को अनुभूति के रूप में लेखिका ने लिखे हैं, वह समाज सेवा के समान है। उन्हें पढ़कर केवल बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चे भी जीवन में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
मुख्य अतिथि गोपाल माहेश्वरी (बाल साहित्यकार) ने यह बात कही। अवसर रहा आशा मानधन्या की कृति ‘आशा की अनुभूति’ के विमोचन का, जो वामा साहित्य मंच के तत्वावधान में इंदौर प्रेस क्लब में हुआ।
मंच की प्रचार प्रभारी सपना साहू ‘स्वप्निल’ ने बताया कि लेखिका की इस प्रथम कृति में हमारे आस-पास के विषयों पर मनन करने योग्य ३७ आलेखों का संग्रह है। विमोचन के अवसर पर आशा जी ने बताया कि घर में धार्मिक पुस्तकों का भंडार था और वहीं से पढ़ने की प्रेरणा मिली। घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ जीवन के उतार-चढ़ाव में जो अनुभूति की, उसका सृजन ही पुस्तक के रूप में सभी के बीच है।
विमोचन आयोजन की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण ‘सत्तन’ ने कहा कि जीवन शगुन, अपशगुन का मेल है, लेकिन उसमें आशाएं कभी नहीं मरती। आशा में लगन से भक्ति का माध्यम जुड़ जाए तो ज्ञान, वैराग्य, तप से अनुभूतियों का जो सृजन होता है, वही ‘आशा की अनुभूति’ के माध्यम से लेखिका ने लिखा है। लेखिका ने समाज से जो अनुभूतियों को गृहण किया, जो अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाला सुगम सृजन है और प्रशंसनीय है। चर्चाकार व मंच की अध्यक्ष ज्योति जैन ने स्वागत उद्बबोधन के साथ ‘आशा की अनुभूति’ पर बताया कि सभी आलेख विषयों की विविधता के साथ लिखे गए हैं, जो मानव मन में घर-परिवार, समाज को देखकर जो सुख-दु:ख, चिंता, मनन की अनुभूति का साकार रूप है, जो अनुकरणीय भी हैं। लेखिका सभी सरल, किन्तु विचारणीय विषयों पर सहज व सफल लेखन कर पाई है।

आयोजन में लेखिका का सम्मान मंच की सचिव स्मृति आदित्य सहित उपस्थित वामा सखियों और हिंदी परिवार, कोठारी और मानधन्या परिवार ने भी किया। अतिथियों का स्वागत कृष्ण कुमार मानधन्या व राजेश कोठारी आदि ने किया। सफल संचालन सपना साहू ‘स्वप्निल’ ने किया। आभार श्रेया सोडानी ने माना।