सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
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अश्लीलता… अब टी.वी., फिल्मों इत्यादि-इत्यादि के पर्दे से निकलकर, लाइव टेलेंट शो के मंच पर पहुंच गई और हमारी संस्कृति- सभ्यता से संबंधित विभाग, समाज को संभालने का दावा करते बुद्धिजीवी वर्ग गहरी नींद में सो रहे हैं। ढेरों अखबारों के, इंस्टाग्राम, फेसबुक के पृष्ठ इसके विरोध में चिल्ला-चिल्लाकर अपने विचार प्रकट कर रहे हैं, किंतु किसी भी जिम्मेदार संस्था, संबंधित अधिकारियों को कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। आम चिंतक की आवाज कौन सुनेगा…?? क्या आम आदमी अपने परमप्रिय देश के प्रति अपनी स्वच्छ भावनाएं व्यक्त नहीं कर सकता…?? है कोई ऐसा मंच…, जहां से हम रोज गिरती हुई हमारी श्रेष्ठ सभ्यता को बचाने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर सकें…? अब तो ये भी समझ में नहीं आता है, कि कोई हमारे विचार, फिक्र को पढ़ने-जानने की कोशिश भी करता होगा, कि नहीं…??
बच्चों को मानवीय मूल्य सिखाने की बात करने वाले लोग, इंटरनेट, मोबाइल के माध्यम से भर-भर के अश्लील, भद्दी और नादान बच्चों को वयस्क बनाती गंदगी परोसते स्वयं देख रहे हैं, पर आरोप अभिभावक के पालन-पोषण पर लगा रहे हैं।
सच, अब किसी से कोई उम्मीद नहीं रही। अब बच्चों को व्यवस्था के सहारे छोड़ देने के अलावा कोई चारा नज़र नहीं आता। आखिर अभिभावक कितना सिखाएंगे घर में संस्कार, जब बाहर कदम रखते ही दलदल का महासागर उफन रहा हो…??
सिर्फ बड़े-बड़े आयोजन करने से कुछ नहीं होगा, आभासी शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने से कुछ नहीं होगा। जमीन पर आकर जड़ों को सींचना पड़ेगा।
इतने ज्वलंत मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर कोई अति संवेदनशील कार्यकारिणी क्यों नहीं बनाई जाती..?? क्यों रोज इंटरनेट की आपत्तिजनक सामग्री पर सफाई नहीं की जाती…?? या इसका कोई ठोस हल क्यों नहीं निकाला जाता…??
अभी का बेहूदा वाक़या देख कर लगता है, कि केवल शिक्षा की सामग्री ही नहीं, अपितु संबंधित उपकरण पर भी गहरी नजर रखनी होगी। निरंतर आभासी सामग्री की सफाई करनी होगी। समाज के गैर-जिम्मेदार कुंठित लोगों पर अंकुश लगाना होगा, जो आज की पीढ़ी के आदर्श बने बैठे हैं एवं भारतीय संस्कार की सरेआम धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। वरना, मंच से गंदगी परोसती ये घटना अश्लीलता की ओर बढ़ते एक नए कदम की शुरूआत हो सकती है।
अपने नौनिहालों को मानसिक नैतिक स्तर पर गिरते हुए देखना किसी भी अभिभावक के लिए कितना पीड़ादायक होता है, ये शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।