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जय श्रीकृष्ण

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष….

ये कौन जन्म लिया है यहाँ वीराने में।
कि नूर बरस रहा कंस कैद खाने में॥

रुबरू है मथुरा में जहांन रखवाला,
जिसे कहे दुनिया आज बाँसुरी वाला।
उफन रही यमुना भाद्र अष्टमी काली,
ये रात भी बरसेगी कयामत वाली।
तभी खुली हर जंजीर और सब ताला,
गये ले गोकुल वसुदेव नंद घर लाला।
मनाए जश्न वहाँ गोप-ग्वाल गाने में,
कि नूर बरस रहा कंस कैदखाने में…॥

नशीब सबके सँवारे ये साँवरा मेरा,
जगत हुआ बनवारी जु बावरा तेरा।
हसीं लबों पे लिए मुस्कुराए यमुना तट,
कदंब डाल पे बैठा बुलाए वो नटखट।
जिसे तलाश सुदामा तरह शरण जाए,
रहम समुंदर हो श्माम तुम्हें अपनाए।
जुनून छोड़ दे रहना न आजमाने में,
कि नूर बरस रहा कंस कैद खाने में…॥

मिला सुकूँन, शरीफों के दिल में राहत है,
इसे खतम करूँ शैतान की ये चाहत है।
ये कायनात इशारों पे जिसके चलती है,
हरेक शै हरि मर्जी से खिलता- खिलती है।
दिखाते खेल, कहाते यहाँ जमीं नटवर,
सभी के रंज मिटाए जहां के वो दिलवर।
कमाल है पल में मानते मनाने में,
कि नूर बरस रहा कंस कैद खाने में…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।