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जय श्रीराम

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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लौट आए अयोध्या श्री राम,
सखी री चौदह बरस के बाद
अब सब हो जाए आनंदधाम,
सखी री चौदह बरस के बाद।

कठिन शपथ ली भरत दुःखी होकर,
चौदह बरस दिवस एक भी ना ऊपर
चिता जला प्राण त्यजूं बोलूं राम,
सखी री चौदह…।

पुष्पक विमान ले विभीषण जी आए,
शीघ्रता से सब को अवध में पहुंचाए
संग आए हनुमान, सिया, राम,
सखी री चौदह…।

करने भारद्वाज मुनि जी के दरशन,
पुष्पक से उतरे सिया, राम व लखन
सिया पूज गंगा जी करें प्रणाम,
सखी री चौदह…।

ब्राह्मण वेष धर हनुमत जी आए,
आ रहे हैं राम ये भरत को बताए
हैं निहाल भरत जो हैं निष्काम,
सखी री चौदह…।

आने में वापस समय बहुत लगा था,
धीरज भी चूर-चूर टूटने लगा था
पल बरस समान है बिन श्रीराम,
सखी री चौदह…।

भरत जी ने ढोल और नगाड़े पिटवाए,
भाभी माँ संग भैय्या वापस घर आए
फिर अवध में मचेगी धूम-धाम,
सखी री चौदह…।

कैकयी पछतावे के अंसुवन बहाएं,
राम जी को बार-बार गले से लगाएं
राम करें मातृभूमि को प्रणाम,
सखी री चौदह…।

कैकयी, कौशल्या, सुमित्रा महारानी,
मिलन की शुभ बेला में नेत्रों में पानी
भरत गले मिलके सिसकें अविराम,
सखी री चौदह…।

खुशियों के दीप जल गए चारों ओर,
मिटा अंधकार हुई रात्रि में ही भोर
झूमे अवध सारा छोड़ सारे काम,
सखी री चौदह…।

छंटे दु:ख के बदरा अब खुशियाँ हैं छाई,
मिल-जुल के सबने दीपावली मनाई
जय-जयकार गूंजा जय जय श्री राम,
सखी री चौदह…।

सबका नहीं है भरत जी सा भाई,
चुगली, निंदा, ईर्ष्या और लड़ाई
बचो इनसे बोलो जय श्री राम,
सखी री चौदह…।

बुराई सदा-सदा से हारती है आई,
धर्म आचरण संग हो नेक कमाई
श्री राम शरण रहो आठों याम,
सखी री चौदह…।

सब मिल बोलो जय श्री राम,
सब मिल बोलो जय श्री राम॥