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जाने-माने साहित्यकार डॉ. पगारे का निधन, श्रद्धांजलि अर्पित

इंदौर (मप्र)।

साहित्य जगत में प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित देश के जाने-माने उपन्यास एवं कथाकार डॉ. शरद पगारे का शुक्रवार को निधन हो गया। शनिवार को जूनी इंदौर मुक्तिधाम पर आपका अंतिम संस्कार किया गया। हिन्दीभाषा डॉट कॉम परिवार एवं अनेक साहित्यिक संस्थाओं ने निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।
इंदौर के साहित्यकार व इतिहासकार डॉ. पगारे (९३ वर्ष) शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन में संलग्न थे। डॉ. पगारे मध्य प्रदेश के ऐसे पहले साहित्यकार हुए, जिन्हें देश के प्रतिष्ठित ‘व्यास सम्मान से विभूषित किया गया। डॉ. पगारे के निधन से साहित्य जगत में बड़ी हानि हुई है। आप लगभग ६५ वर्ष से अनवरत लेखन कर रहे थे। डॉ. पगारे ने इतिहास के अँधेरे में खोए हुए चरित्रों को साहित्य के माध्यम से सामने लाकर ऐतिहासिक उपन्यासों के क्षेत्र में भीड़ से हटकर लेखन किया और नयी जमीन तैयार की है।
खण्डवा (मध्यप्रदेश) में जन्मे श्री पगारे की प्रमुख रचनाएँ उपन्यास में शाहजहाँ प्रेमिका गुलारा बेगम (११ संस्करणों में, मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम, पंजाबी में प्रकाशित), औरंगजेब महबूबा बेगम जैनाबादी (६ संस्करणों में प्रकाशित), पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी (३ संस्करण), जिन्दगी के बदलते रूप (३ संस्करण) आदि हैं तो कहानी संग्रह में नारी के रूप, एक मुट्ठी ममता, दूसरा देवदास व चन्द्रमुखी का देवदास आदि हैं।