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जिसने समझी ‘मित्रता’

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ 
मनावर (मध्यप्रदेश)
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मित्रता-ज़िंदगी…

‘मित्रता’ का मतलब
जिसने समझा सही,
उसे ज़िंदगी से
कोई शिकवा नहीं,
मित्रता से बढ़कर
दुनिया में कोई नहीं,
वो क्या जानेंगे मित्रता का मतलब!
जिसने मित्रता की ही नहीं।

आँखों ने की
पलकों से मित्रता,
शब्दों ने की होंठों से।
साँसों ने की
जब हवाओं से मित्रता,
ज़िंदगी जीने का मजा आने लगा॥