सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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जन्म, जीवन, वंश सब ये
जीव के वश में नहीं,
समय, काल, परिस्थिति पर
भी तो अपना वश नहीं।
क्या है जाति और कुल ?
आता समझ में कुछ नहीं,
रूप-रंग जो मिला उससे
उस पर भी अपना वश नहीं।
प्रारब्ध से है जन्म मिलता
योनि भी प्रारब्ध ही है,
प्रारब्ध से दु:ख-सुख मिले
पिछले जन्म के कर्म ही हैं।
माता-पिता कर भरण-पोषण
निश्चय कराते राह भावी,
साध मन और चित्त को
मानव बनाता मार्ग भावी।
केवल सफल जीवन में जो
समझ को विकसित करे,
कष्ट सह मिलती सफलता
आगे के सुख निर्मित करे।
ज्ञान, बुद्धि दे नियन्ता,
ने कहा तू कर्म कर।
फल तुझे निश्चित मिलेगा,
विश्वास तू बस मुझ पर कर॥