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ज्ञानचंद मर्मज्ञ की कविता व निबंध विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल

बेंगलुरू (कर्नाटक)।

बेंगलुरु के प्रतिष्ठित साहित्यकार ज्ञानचंद मर्मज्ञ की कविता ‘मैं दीपक हूँ जलूँगा’ और निबंध ‘मैं हिंदी बोल रही हूँ’ संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय (महाराष्ट्र) के बी.ए.(प्रथम वर्ष) , अनिवार्य हिंदी एवं निबंध ‘बुधिया वापस कब आएगा’ विज्ञान स्नातक प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किए गए हैं। आपके कई निबंध, कविता और कहानी बंगलौर विश्वविद्यालय सहित अन्य के पाठ्यक्रमों में पहले भी सम्मिलित किए गए हैं। उप्र हिंदी संस्थान के अलावा देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं से भी सम्मानित ज्ञानचंद मर्मज्ञ को इस उपलब्धि पर स्नेही मित्रों और साहित्यकारों ने भी शुभकामनाएँ प्रेषित की है।

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