श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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पिता श्री मोरोपन्त, माता भागीरथी की बेटी मन्नू,
जैसे-जैसे बढ़ती गई सर्वगुण सम्पन्न हो गई मन्नू।
तीर-धनुष, घुड़सवारी सीख ली, चलाना तलवार,
आँख दिखा कर कहती थी फिरंगी को ‘खबरदार।’
दस साल की उम्र में ही, फिरंगी को कौड़ा मारा था।
‘भारत है हमारा’ कहकर अंग्रेज को ललकारा था।
राजा गंगाधर राव से ब्याह हुआ, चली गई सासरे,
अब देश को आजादी मिलेगी, सब रहने लगे आसरे।
भारत माता की बेटी लाड़ली, झांसी वाली रानी,
इनकी जीवनी पढ़ते ही, आँखों में आता है पानी।
रानी लक्ष्मी बाई कष्ट में, संपूर्ण जीवन गुजारा,
सुख-वैभव त्याग कर बन गई, देश की पालनहारा।
भारत माता के लिए उतारा, रानी सोलह सिंगार,
कूद पड़ी थी रणभूमि में, कमर कसकर तलवार।
भारतीयों को याद बहुत आती हैं, रानी लक्ष्मीबाई,
भारत माता की बेटी को, मार दिया फिरंगी कसाई।
बन गई झांसी की महारानी, रानी लक्ष्मी बाई।
संपूर्ण झासी को संग लेके, की फिरंगी पर चढ़ाई॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |